Girl Child Abandonment को रोकने में क्या ‘डोरी’ होगा सफल!

कलर्स टीवी और महिला व बाल विकास मंत्रालय ने बच्चियों की जिंदगी में महत्वपूर्ण बदलाव लाने के लिए एक अनोखा कदम उठाया है। इसके तहत, बच्चियों के प्रति लोगों की मानसिकता बदलने के लिए कलर्स एक नया शो लेकर आया है– डोरी।

Girl Child Abandonment को रोकने में क्या ‘डोरी’ होगा सफल!

Girl Child Abandonment को रोकने में क्याडोरीहोगा सफल!

बालिका परित्याग पर Colors का नया शो, WCD Ministry से मिलाया हाथ

पहल स्वागतयोग्य, बदलाव लाने में निभाए   प्रभावशाली भूमिका- पालोना

सृष्टि श्रीवास्तव

05 November 2023, Mumbai, Maharashtra

कलर्स टीवी और महिला व बाल विकास मंत्रालय ने बच्चियों की जिंदगी में महत्वपूर्ण बदलाव लाने के लिए एक अनोखा कदम उठाया है। इसके तहत, बच्चियों के प्रति लोगों की मानसिकता बदलने के लिए कलर्स एक नया शो लेकर आया है– डोरी।

हाल ही में जारी एक प्रेस रिलीज़ से पता चला है कि कलर्स टीवी के इस नए शो में बालिका परित्याग जैसे गंभीर मुद्दे पर आवाज़ उठाई जाएगी। शो के माध्यम से लोगों में बालिका परित्याग और उससे होने वाले परिणामों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की कोशिश की जाएगी।

इस शो की शुरुआत 06 नवंबर 2023 को रात 9 बजे हो चुकी है। इसका प्रसारण सोमवार से शुक्रवार कलर्स टीवी पर होगा। सुधा चंद्रन, अमर उपाध्याय, और माही भानुशाली जैसे मंझे हुए कलाकार इस शो का हिस्सा होंगे।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस शो की कहानी 06 साल की एक बच्ची के जरिए आगे बढ़ेगी।  "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" अभियान के समर्थन में कलर्स टीवी ने महिला और बाल विकास मंत्रालय के साथ हाथ मिलाया है।

इस शो के माध्यम से कलर्स टीवी देश भर में किसी भी परित्यक्त बालिका के लिए जो लोग सहायता करना चाहते हैं, 24 घंटे के आपातकालीन टोल फ्री चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर (1098) को बढ़ावा देगा।

महिला एवं बाल विकास (WCD) और अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने कहा कि जैसे एक देश की उन्नति का पता उस देश की महिलाओं और बच्चों के विकास को देख कर होता है, वैसे ही मनोरंजन का प्रभाव उसके द्वारा किये गए मानसिक बदलावों को देखकर होता है।

उन्होंने कहा  कि उन्हें इस बात की बहुत ख़ुशी है कि कलर्स टीवी, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" आंदोलन का समर्थन करते हुए इस नए शो की शुरुआत कर रहा है। वह  उम्मीद करती हैं कि इससे अक्सर नजरअंदाज किये जाने वाले बालिका परित्याग जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर लोगों में जागरूकता बढ़ेगी।

केविन वाज़, सीईओ- ब्रॉडकास्ट एंटरटेनमेंट, वायोकोम 18 के अनुसार, उन्हें बहुत ख़ुशी है कि वो महिला और बाल विकास मंत्रालय के साथ मिलकर ऐसे गंभीर मुद्दे पर रौशनी डाल रहे हैं। उनका मानना है कि इस शो के जरिये वे लोगों में बालिका परित्याग के प्रति जागरूकता बढ़ाने में सफल होंगे।

श्रीमती मोनिका आर्य, पत्रकार और संस्थापक पालोना अभियान ने इस शो को सकारात्मक पहल बताते हुए इसकी सराहना की है। वह  उम्मीद करती हैं कि ये शो शिशु परित्याग को रोकने में अहम भूमिका निभाएगा और ये अभी तक बनी फिल्मों और सीरियल्स से अलग होगा।

लेकिन वह थोड़ा निराश भी हैं। उनका सवाल है कि जब भी नवजात शिशुओं के परित्याग की बात होती है तो लोग लड़कों को क्यों भूल जाते हैं। देखा गया है कि परित्यक्त होने वाले बच्चों में लड़कों की भी अच्छी खासी संख्या होती है।

श्रीमती आर्य का मानना है कि सुरक्षा और देखभाल की जरूरत जितनी एक नवजात बच्ची को होती है, उतनी ही एक नवजात बालक को भी होती है। इसके अलावा, सरकार को जेंडर बेस्ड अभियान चलाने की बजाय सम दृष्टि से किसी समस्या को देखकर उसका समाधान खोजना चाहिए।

उनका कहना है कि सरकार की सुरक्षित समर्पण (Safe Surrender) पॉलिसी को भी बढ़ावा देना चाहिए और इस शो के माध्यम से उससे जुड़े सही तथ्यों को लोगों के सामने लाना चाहिए।

उन्होंने सरकार से अपील भी की है कि वह बच्चों में भेद न करते हुए शिशु परित्याग के खिलाफ सशक्त माहौल बनाने का प्रयास करे।

वहीं, डब्ल्यूएआईसी की श्रीमती मीरा मारती ने कहा कि लड़कियों को जरूर बढ़ावा देना चाहिए, लेकिन हम लड़कों को पीछे छोड़ रहे हैं | एडॉप्शन में भी देखा गया है कि लड़कों से ज्यादा लड़कियां अडॉप्ट हो रही हैं। यह भी सही नहीं है।

मालूम हो कि पालोना देश का वह अभियान है, जो नवजात शिशुओं के परित्याग और उनकी क्रूर तरीके से की जा रही हत्याओं पर लगातार आवाज उठा रहा है। यह  सुरक्षित और असुरक्षित परित्याग के अंतर को प्रमुखता से लोगों को बताता है। साथ ही सुरक्षित समर्पण और सुरक्षित परित्याग के सहारे मासूमों की जान बचाने की वकालत भी करता है।

 

 

 

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